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प्रेरक प्रसंग: दूसरों को दोष देने से अच्छा है कि खुद के अंदर की कमियों को पूरा करें

प्रचलित प्रसंग के अनुसार एक बार बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। काफी रात होने के कारण बुद्ध ने सोचा की पास में जो गांव है, वहां पर रुककर आराम कर लिया जाए और सुबह होने पर आगे की यात्रा शुरू की जाए। बुद्ध ने अपने शिष्यों से कहा कि वो एक साफ जगह देखकर वहां विश्राम करने का इंतजाम करें। बुद्ध के आदेश के अनुसार उनके शिष्यों ने एक पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम करने का इंतजाम किया और बुद्ध जी के लिए पीपल के पेड़ के नीचे एक आसान बिछा दिया। जिसपर बुद्ध सो गए।

वहीं सुबह गांव वालों को बुद्ध के आने की खबर मिली। गांव के लोग तुरंत बुद्ध के पास पहुंचे और बुद्ध से कहा कि वो कुछ दिनों के लिए उनके गांव में रुक जाएं और लोगों को प्रवचन दें। उसके बाद ही वो अपने आगे की यात्रा शुरू करें। बुद्ध ने गांव वालों की निवदेन मान ली और अपने शिष्यों से कहा कि वो कुछ दिनों तक यहां पर रुकने वाले हैं और गांव के लोगों को प्रवचन देंगे।

रोज गांव के लोग उनके दर्शन के लिए आते और उपदेश सुनते। एक दिन बुद्ध के पास एक महिला पहुंची। उसने बुद्ध से कहा, क्या मैं आपसे एक सवाल पूछ सकती हूं। बुद्ध ने हंसते हुए कहा, हां जरूर,पूछें आपको क्या पूछना है। महिला ने बुद्ध से सवाल करते हुए कहा कि आप तो किसी राजकुमार की तरह दिखते हैं। अपने युवावस्था में ही संन्यास क्यों धारण किया?

महिला के इस सवाल का जवाब देते हुए बुद्ध बोले, ‘मैं तीन प्रश्नों के उत्तर जानना चाहता हूं। हमारा ये शरीर अभी युवा और आकर्षक है। लेकिन बाद में ये वृद्ध हो जाएगा, फिर बीमारी का शिकार हो जाएगा और अंत में हमारी मृत्यु हो जाएगी। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी और मृत्यु के कारण जानना थे। इसीलिए मैंने संन्यास धारण कर लिया।

बुद्ध की ये बात सुनकर महिला काफी प्रभावित हुई और महिला ने बुद्ध से कहा अगर आप मेरे घर आकर भोजन करेंगे, तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। एक गांंव वाले ने ये बात सुन ली और तुरंत अन्य गांव वालों को पूरी बात बात दी। जिसके बाद गांव वालों ने बुद्ध जी के पास जाकर उनसे कहा कि वो महिला के घर में ना जाएं। बुद्ध ने गांव वालों से कारण पूछा तो गांव वालों ने कहा कि उस महिला का चरित्र अच्छा नहीं है।

ये बात सुनकर बुद्ध ने गांव के सरपंच को अपने पास बुलाया और उनका एक हाथ पकड़ लिया। हाथ पकड़ने के बाद बुद्ध ने सरपंच से कहा कि अब ताली बजाकर दिखाओ। इस पर सरपंच ने कहा कि एक हाथ से ताली कैसे बज सकती है। इसपर बुद्ध ने कहा, ठीक इसी तरह कोई महिला अकेले ही चरित्रहीन नहीं हो सकती। इस गांव के पुरुष चरित्रहीन नहीं होते तो वो महिला भी चरित्रहीन नहीं होती। बुद्ध ने कहा कि अगर हम अच्छा समाज बनाना चाहते हैं। तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना चाहिए। अगर हम सुधर जाएंगे तो इस समाज के लोग भी सही हो जाएगा। बुद्ध की ये बात सुनकर गांव वाले शर्मिदा हो गए और उन्होंने बुद्ध व महिला से माफी मांगी। इसके बाद बुद्ध अपने शिष्यों के साथ उस महिला के घर गए और वहां जाकर खाना खाया। इसके बाद बुद्ध अपनी यात्रा पर निकल गए।

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