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बहादुर बेटी पूजा ने अंतिम सांस तक लड़कर 5 लोगों को बचाया था जिंदा, फिर हार गई जिंदगी से जंग

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में हुए दर्दनाक हादसे में अपनी जान पर खेलकर पांच लोगों की जिंदगियां बचाने वाली बहादुर बिटिया पूजा यादव अब रियल लाइफ हीरो बन गई हैं। यह बहादुर बिटिया तो अब नहीं रही, लेकिन उस के दर्दनाक हादसे के दौरान दिखाई गई उसकी हिम्मत की चर्चा हर ओर हो रही हैं। वह सेना भर्ती की तैयारी कर रही थी। सेना में चयन से पहले वह जिंदगी की जंग तो हार गई।

कुएं के स्लैब पर खड़ी थी महिलाएं

दरअसल, नेबुआ नौरंगिया थाने के नौरंगिया गांव के स्कूल टोला में एक कार्यक्रम के दौरान कुएं के स्लैब पर महिलाएं और बच्चियां खड़ी थीं। पुरुष खाना खिलाने की तैयारी में लगे थे। इसी दौरान स्लैब टूटकर गिर गया। सभी 22 महिलाएं और बच्चियां भी कुएं में गिर गए। अचानक से कुएं में बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चियों के गिरने से कोहराम मच गया। हादसा होते ही हर कोई उस तरफ दौड़ पड़ा। हर तरफ चीख-पुकार हो रही थी।

9 टैंकर पानी निकालने के बाद निकली लाशें

लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। इसी बीच कुछ नौजवान लड़के रस्सी के सहारे कुएं में उतर गए और महिलाओं व बच्चियों को निकालना शुरू कर दिया। रेस्क्यू में पूरा गांव रस्सी और सीढ़ियों के सहारे लोगों को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा। सेप्टिक टैंक से लगभग नौ टैंकर पानी बाहर निकाला गया। उसके बाद लाशें निकलनी शुरू हुईं थीं।

इस तरह गई पूजा की जान

हादसे के वक्त मौजूद लोगों ने बताया कि पूजा को धुन सवार थी कि वह सभी को बचाएगी। उसका हौसला देखकर रोते-बिलखते लोग पूजा का ही नाम ले रहे थे। डूबने वालों में पूजा की मां भी शामिल थी। हालांकि, पूजा ने अपनी मां को बचा लिया था। हर कोई पूजा से ही मदद की गुहार लगा रहा था।

जब उसने 5 लोगों को बचाया तो लोगों की आस जाग उठी। पूजा छठी जान बचा रही थी तभी उसने संतुलन खो दिया और पानी में डूब गई। इस तरह पूजा ने सेना में जाने से पहले ही अपनी जान कुर्बान कर दी। हादसे में 13 लोगों की मौत हो चुकी हैं।

दोनों भाइयों ने भी गंवाई जान

पूजा यादव तहसीलदार शाही महाविद्यालय सिन्हा में बीए दूसरे सेम की छात्रा थी। इसके साथ ही उसके दो जुड़वां भाई आदित्य और उत्कर्ष थे। दोनों भाई ने भी इस हादसे में जान गंवाई। पूजा के पिता बलवंत यादव सेना में हैं और दिल्ली में पोस्टेड हैं। पूजा देश की सेवा के लिए सिलेक्शन के लिए तैयारी कर रहीं पूजा ने थीं। पूजा ने अपने आखिरी समय में हादसे में शामिल महिलाओं की रक्षा करके बिना वर्दी ही एक सैनिक का फर्ज निभा दिया।

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